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सरदारपुर – 60 कैदियों की क्षमता वाली उपजेल मे 130 कैदी लेकिन एक को भी छु नही पाया कोरोना, जेल अधिक्षक डामोर ने कैदियों को मानसीक तौर पर रखा मजबुत

सरदारपुर। कोरोना संक्रमण की दुसरी लहर इस वर्ष देश मे काफी घातक साबित हुई। संक्रमण के शिकार होकर बड़ी संख्या मे लोग मौत का शिकार हो गयेे। पिछले वर्ष जहा तहसील क्षैत्र मे संक्रमण की दर काफी कम थी। वही इस वर्ष पहली लहर की अपेक्षा संक्रमितो के साथ कोरोना से मृतको का आंकडा भी बडा। तहसील क्षैत्र मे बड़े नगरो से लगाकर छोटे कस्बो मे कोरोना संक्रमित मिल रहे थे। लेकिन दुसरी और सुखद पहलु यह भी रहा की सरदारपुर जेल मे दुसरी लहर मे एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार नही हो पाया। इसमे सबसे बड़ी बात यह भी रही है की अधिकांश कैदियों को कोरोना की वैक्सीन अभी तक लग भी नही पाई है।
जेल शब्द सुनते ही शरीर मे कंपकपी छुट जाती है तो कैदीयो में जेल के अंदर के वातावरण को देखकर भय का माहौल भी रहता है। लेकिन सरदारपुर उपजेल मे ऐसा कुछ भी नही है। युवा जेल अधिक्षक प्रदीप डामोर सबसे अलग ही है। उनके कार्य करने की क्षमता और वैचारिक शैली देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है। ऐसा लगता है की यह युवा अफसर सबसे अलग हटकर करने की सोच रखता है।
इस वर्ष 1 जुन को सरदारपुर उपजेल मे प्रदीप डामोर के कार्यकाल को दो वर्ष पुर्ण हो चुके है। पिछले वर्ष जहा कोरोना संक्रमण की प्रथम लहर मे सरदारपुर जेल मे 4 कैदीयो के कोरोना संक्रमण की खबर से हंड़कंप मच गया था। लेकिन ये कैदी धार से आये थे जो बहार से ही संक्रमित थे। जैल अधिक्षक प्रदीप डामोर ने इन कैदियों को अलग रखकर इन्हे कोरोना संक्रमण से मुक्त कर स्वस्थ किया वही अन्य कैदियों को भी सुरक्षित किया।
इस वर्ष जहा दुसरी लहर के शुरूआती आंकडो और स्थिती को देखकर हर किसी के मन मे डर का माहौल था। लेकिन जेल अधिक्षक श्री डामोर ने सरदारपुर उपजेल मे बंद करीब 130 कैदीयो को इस तरह प्रोत्साहीत किया की उनके मन मे न तो कोरोना संक्रमण के प्रति डर पैदा हुआ और ना ही कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार हो पाया।
सबसे बड़ी बात यह रही की उपजेल की लंबाई 80 मीटर है और चौड़ाई 75 मीटर है। जिसमे कैदियों को रखने की क्षमता 60 है लेकिन 130 कैदियों को रखा जा रहा है। कैदियों को रखने के लिये 3 बैरक है। स्वाभाविक है जब 130 कैदी तीन बैरक मे रहेगे तो दो गज की दुरी का पालन तो नही हो पायेगा। लेकिन जेल अधिक्षक प्रदीप डामोर ने कोरोना संक्रमण मे शासन की दुसरी अन्य गाईड लाईन का कडाई से पालन करवाया।
दिन मे चार से पाॅच बार साबुन से हाथ धोने के साथा ही कैदीयो को दिन मे 3 बार गर्म जल का सेवन साथ ही दो वक्त चाय इस तरह 5 टाइम गर्म पेय दिया गया। मनोरंजन के लिये जेल में टीवी के साथ समाचार पत्र पढ़ने के साथ कैदियों को इस तरह मानसिक तौर पर मजबुत रखा गया की कोई भी बिमारी का मुकाबला वे डटकर कर सके।
बंदीयो और स्टाफ के लिये एक बनाये एक जैसे नियम- कोरोना संक्रमण में कोरेंटीन का खास महत्व रहता है। जेल मे इस दौरान आने वाले नये कैदियों के लिये आरटीपीसीआर टैस्ट अनिवार्य किया गया। साथ ही उन्हे आईसोलेशेन वार्ड मे कोरेंटीन भी किया गया। ताकी यदि कोई बिमारी हो तो अन्य कैदी ग्रस्ति नही हो पाये। यही नियम अपने स्टाफ पर भी लागु किया। स्टाफ का कोई व्यक्ति छुट्टी पर गया और पुनः जैल मे आया तो उसके लिये 14 दिन क्वारेटाईन का नियम लागु किया। उप जेल अधिक्षक प्रदीप डामोर ने बताया की जैल मे बंदीयो की समय-समय पर अंशकालीन चिकीत्सक डाॅ. नितीन जोशी द्वारा स्वास्थ परिक्षण किया जाता है। साथ ही जेल अधिक्षक द्वारा साप्ताहीक परेड के दौरान बंदीयो को स्वास्थ के प्रति प्रोत्साहीक कर उनकी समस्याओ को जानकार उनका समाधान भी किया जाता है। वही जेल मे बंद 130 कैदीयो मे से 45 वर्ष से अधिक आयु के 19 कैदीयो को कोरोना वैक्सीन का प्रथम डोज भी लग चुका है। बाकी कैदीयो को भी जल्द ही कोरोना वैक्सीन लगाई जायेगी।
शासन की योजनाओ का भी दिलवा रहे लाभ – जेल मे बंद कैदियों मे कई कैदी तो ऐसे भी है जिनके अभी तक आधार कार्ड भी नही बन पायेे। श्री डामोर ने ऐसे कैदीयो के आधार कार्ड भी बनवाये। साथ ही 21 कैदियों के आयुष्मान कार्ड भी बनाये ताकी बिमार होने पर उनका शासन की योजना के तहत फ्री मे उपचार हो सके।
वैसे यदि ऐसे सकारात्मक विचारो वाले जैल अधिक्षक हो तो अपराध की दुनिया मे कदम रखने वाले कैदी जल्द ही अपराधो से तौबा कर समाज की मुख्य धारा मे जुड़ सकेगे। श्री डामोर कहते है की व्यक्ति अपराध की दुनिया मे युही कदम नही रखता है। उसकी कुछ मजबुरी होगी यदि हम उस मजबुरी को समझकर उसे इस तरह मजबुत करे की आगे वह एक अच्छा व्यक्ति बनकर समाज का जिम्मेदार नागरिक बने।

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