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धार – कोर्ट ने रिश्वत लेने वाले माही परियोजना के एसडीओ को सुनाई सजा, 50 हजार लेते लोकायुक्त ने किया था अरेस्ट, 30 लाख के भुगतान के एवज में आरोपी ने मांगी थी 3 प्रतिशत की रिश्वत

धार। ठेकेदार से भुगतान के एवज में 3 प्रतिशत की रिश्वत मांगने वाले आरोपी उपयंत्री व प्रभारी एसडीओ को कोर्ट ने 4 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। प्रथम अपर सत्र न्‍यायाधीश द्वारा निर्णय पारित करते हुए धारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 1988 में आरोपी अरूण पिता अयोध्‍या प्रसाद त्रिपाठी को सजा सुनाई है। आरोपी विभाग में उपयंत्री के पद पर पदस्थ था, किंतु माही परियोजना के तहत चल रहे निर्माण कार्यों की देखरेख के लिए प्रभारी एसडीओ भी था। इस दौरान ही आरोपी ने ब्रिज निर्माण को लेकर हुए भुगतान के चलते ही रिश्वत मांगी थी।

मीडिया सेल की प्रभारी अर्चना डांगी ने जानकारी देते हुए बताया कि इंदौर लोकायुक्त कार्यालय में फरियादी ठेकेदार धर्मेन्‍द्र पिता वीर नारायण शर्मा ने 12 जुलाई 2017 को आवेदन किया था। ठेकेदार के अनुसार फरवरी 2016 में माही डेम परियोजना के अंतर्गत फुल्कीपाड़ा ब्रिज के निर्माण का कार्य निविदा के आधार पर लिया था, जिसका करीब 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका था, जिसका जल संसाधन विभाग झाबुआ से 1 करोड़ 27 लाख का पेमेंट हो चुका है, शेष पैंमेट करीब 30 लाख रुपए के बिल के आहरण होकर दिनांक 27 जून 17 को कंपनी के बैंक खाते में राशि आ चुकी थी।

जिसके बाद 30 जून 2017 तो ठेकेदार ग्राम फुल्कीपाडा स्थित ब्रिज निर्माण के कार्यस्थल पर था, जहां पर दोपहर के समय प्रभारी एसडीओ अरुण ञिपाठी आकर मिले तथा 30 लाख रुपए के एवज में 3 प्रतिशत के हिसाब से करीब 90 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। पहले ठेकेदार ने रिश्वत देने की बात को टाल दिया तो आरोपी ठेकेदार की कंपनी के इंजीनियर को आकर निर्माण स्थल पर धमकी देता था कि निर्माण कार्य में त्रुटी की गई है। साथ ही निर्माण सामग्री व कार्य के संबंध में नोटिस जारी करने की धमकी दी थी, जिसके बाद ही ठेकेदार ने लोकायुक्त पुलिस को संपर्क किया था।

अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्‍यायालय में विचारण हेतु प्रस्‍तुत किया गया था। विचारण के दौरान अभियोजन ने मामले को प्रमाणित करने के लिए कुल 12 गवाह न्‍यायालय में प्रस्‍तुत किये थे , उनमें से फरियादी साक्षी धर्मेन्‍द्र शर्मा ने अभियोनज का समर्थन नहीं किया था किन्‍तु फिर  भी न्‍यायालय द्वारा  अभियोजन की अन्‍य साक्ष्‍य एवं प्रस्तितिजन्‍य साक्ष्‍य पर विश्‍वास कर मामले को प्रमाणित मानकर  दण्‍डादेश  का आदेश पारित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी उप संचालक अभियोजन टीसी बिल्‍लौरे के द्वारा की गई।

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