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रिंगनोद – छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में व्याख्यान कार्यक्रम का हुआ आयोजन, मुख्य वक्ता श्री पाराशर ने कहा – आज भी हिंदू समाज की आस्था का केंद्र है शिवाजी

रिंगनोद। जब पूरे देश और देश की राजधानी दिल्ली में मुगलों का शासन था तब जनता ने अपने ह्रदय में यह बात बिठा ली थी कि कोई हिंदू राजा नहीं नहीं हो सकता। तब अपनी मां, अपने गुरु से मिले संस्कारों और बचपन से ही सीखी गई युद्ध कला से छत्रपति शिवाजी महाराज ने कई दुर्ग और किले जिते तथा 46 वर्ष की उम्र में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ और उन्होंने हिंदू पद-पाद की स्थापना की। उक्त उद्गार संघ के जिला प्रचारक सुमित पाराशर ने रिंगनोद की योगमाया धर्मशाला में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें रिंगनोद के युवा सीए जिनेश कोठारी भी मंचासीन रहें।

14 वर्ष की आयु में जीता था पहला दुर्ग- मुख्य वक्ता श्री पाराशर ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए शिवाजी महाराज के जीवन के कई किस्से सुनाएं। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की परवरिश विपरीत परिस्थितियों में उनकी मां जीजाबाई ने की थी। शिवाजी महाराज ने मावल सैनिकों के साथ पहला दुर्ग सिंहगढ़ को महज 14 वर्ष की आयु में जीता था। शिवाजी महाराज की युद्ध पद्धति का नाम छापामार युद्ध पद्धति था। आज भी उनकी युद्ध पद्धति का उपयोग कई देश की सेना करती है। शिवाजी महाराज ने इस युद्ध पद्धती से मुगल शासक आदिल शाह की हुकुमत में तहलका मचा दिया था।

शिवाजी की प्रत्येक बात का करना चाहिए अनुसरण – कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री पाराशर ने कहा कि शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक सन् 1774 में ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन हुआ था। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक होने के बाद उन्होंने कई जातिगत प्रथा बंद की। उनके अष्ट प्रधान में हर जाति के लोग हुआ करते थे। शिवाजी के राज्याभिषेक के पहले महाराष्ट्र में बलात्कार अपराध नहीं था लेकिन शिवाजी के राज्याभिषेक के बाद उन्होंने कहा था कि स्वराज में बलात्कार अपराध है और बलात्कारियों को मृत्युदंड दिया जाएगा। वर्ष 1780 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हुई लेकिन आज भी शिवाजी हिंदू समाज की आस्था का केंद्र है।

मुख्य वक्ता श्री पाराशर ने कहा कि हमे शिवाजी की प्रत्येक बात का आज अनुसरण करना चाहिए। हमें स्वराज को लेकर विचार करना चाहिए जो स्वयं से शुरू होगा। हमें भारत भूमि को अखंड बनाना है तो अपने स्वार्थों को छोड़ना होगा। हमें समाज में समरसता का भाव लाना होगा, हमें नागरिक अनुशासन का पालन करना होगा। हमारे कुटुंब की व्यवस्था को सुधारना होगा। जब तक माताएं जीजा माता नहीं बनेगी तब तक बेटे शिवाजी नहीं बनेंगे। इसलिए माताओं को भी अपने बच्चों अच्छी शिक्षा देनी होगी। ताकि शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज का सपना पूरा हो सकें। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष शामिल हुए।

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