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बोर्ड परीक्षा का ऐसा परिणाम चिंताजनक : दसई की सरकारी स्कूल में 10वीं में 2 तो 12वीं में 3 ही बच्चे ही हुए पास, प्रशासन ने प्राचार्य को नोटिस देकर कर ली इतिश्री

नरेन्द्र पंवार @ दसाई। प्रदेश भर में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार हर तरह का प्रयास लगातार कर रही है। वहीं इसके लिए करोडो रुपये भी खर्च कर रही हैं ताकि कोई बच्चा पढाई में कमजोर नही रहे। सीएम राइज स्कुल भी खोल जा रहे हैं मगर इतने प्रयास के बाद भी परीक्षा परिणाम की कहानी कुछ और ही बता रही है। जिससे लगता है कि सरकार की योजना पर पलीता लग रहा है और करोडो रुपये व्यर्थ ही खर्च हो रहे हैं।

वर्तमान में दसाई के सरकारी स्कुल के परिणाम ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां पर पिछले कुछ वर्ष से परिणाम लगातार गिरता जा रहा है लेकिन किसी आला अधिकारी ने आज तक ध्यान नही दिया। जिससें इस बार परीक्षा परिणाम ने जिले में सारे रिकार्ड को तोड दिये।
वर्ष 2020-21 पर नजर डाले तो कक्षा 10 वी का परिणाम 48 प्रतिशत, कक्षा 12 वी का 61 वही, वर्ष 21-22 में इसका स्तर गिर गया और कक्षा 10वी का 40 और 12 वी का 55 प्रतिशत यही नही आगे भी वर्ष 22-23 में फिर गिरावट आई और 10वी में 32 कक्षा 12 वी मे 35 प्रतिशत पर आकर खडा हो गया।

लगातार परिणाम गिरने पर कई सवाल खडे होने लगे और शासन को आमजन नें अवगत भी कराया लेकिन किसी का ध्यान नही गया। और इस साल जिले का सबसे घटिया परिणाम यदि किसी स्कुल का निकला तो शायद दसाई का ही निकला होगा। कक्षा 10 वी का मात्र 5 और कक्षा 12 वी का मात्र 6 प्रतिशत रहा। कक्षा 10 में 38 बच्चों ने परीक्षा दी जिसमें से मात्र 2 बच्चें उतीर्ण हुवे वही 12 में 45 मे से 3 ही उतीर्ण हो पाए।

इन दोनो ही कक्षा में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक थे। कक्षा 10 वी में 5 शिक्षक जिसमें 4 नियमित और एक अतिथि वही 12 वी में 8 शिक्षक जिसमें 4 नियमित और 4 अतिथि थे । इन सभी का वेतन लाखो रुपये में प्रतिमाह जाता है लेकिन परिणाम सबके सामने हैं। कर्मचारी पर नजर डाले तो 15 लोग इसका संस्था में कार्यरत हैं।

वर्तमान में यहा पर नियमित प्राचार्य नही होना भी कही न कही गिरते परिणाम का कारण बनता दिख रहा है। वहीं यहा रखे गये अतिथियों में दो अतिथियो के विषय का परिणाम जीरो रहा हैं। इन अतिथियो को किस आधार पर रखा गया है जबकि दोनो अतिथि कई वर्षो से इस विद्यालय में कार्य कर रहे हैं। ऐसे में योग्य शिक्षक का नही होना भी परिणाम कमजोर रहने का कारण बनता हैं। वहीं नियमित प्राचार्य की मांग भी कई बार रखी गई लेकिन आज तक यह मांग अधूरी हैं। परीक्षा प्रारम्भ के पहले कलेक्टर ने भी दौरा किया था तब बच्चों की संख्या नाम मात्र थी ।

इधर, बच्चों के अभिभावको का आरोप है कि स्कुक में पढ़ाई नही होती है। पालक मगेंश शर्मा ने कहा कि मेरा बालक भी इस विद्यालय में ही पढाई करता था विद्यालय में वर्षभर पढाई नही होती थी जिसके कारण वह फैल हो गया।

स्कूल के प्रभारी प्राचार्य राघेश्याम अलंसे का कहना है कि इस वर्ष का परीक्षा परिणाम निराशाजनक रहा हैं, हमारे द्वारा बच्चों को अच्छा पढाने का प्रयास किया गया था मगर परीक्षा परिणाम ने निराश कर दिया आगे से इस ओर ध्यान दिया जावेगा ताकि परिणाम बेहतर निकले।

वही सहायक आयुक्त बृजकांत शुक्ला ने कहा कि परीक्षा परिणाम को लेकर जिलाधीश द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया और शीघ्र ही मीटिंग रखकर उचित कार्यवाही की जाएगी।

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