Homeआलेखकरोड़ो दीपों के प्रकाश पुंज से एकाकार हो उठा भारत देश... ...

करोड़ो दीपों के प्रकाश पुंज से एकाकार हो उठा भारत देश… हौसलों और उम्मीदों के दीपक ने जगाई आस, जीतेगे कोरोना से जंग…

राजेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक
9893877004, 9009477004 
अलौकिक, अद्भुत, अविस्मरणीय, ऐतिहासिक… 5 अप्रैल 2020 की तिथि इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गई। जब भारत के लाखों-करोडों देशवासियों ने उम्मीदों और हौसलों की उजास से यह जता दिया कि वैश्विक महामारी कोरोना से जारी जंग को जीतकर ही दम लेगे। करोडो दीपों के प्रकाश पुंज से एकता के सूत्र में बंधा भारत मानों एकाकार हो उठा हो और कह रहा है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। क्या बच्चे… क्या बुजुर्ग… क्या छोटे… क्या बडे… हर कोई मानव सृष्टि और कोरोना वायरस के बीच जारी इस जंग में अंधकार और निराशा रूपी वातावरण में उजास की केंडल, उम्मीदों का दीप प्रज्जवलित कर भारत भूमि के उन सपूतों को, उन कर्मयोद्धाओं को यह संदेश दे रहा था कि इस लडाई में पूरा भारत उनके साथ है। रविवार की रात को भारत भूमि में उजास की रोशनी में उठे हजारों-लाखों हाथों ने देश भक्ति का नया जज्बा तो पैदा किया ही… साथ ही हजारों-हजार चिकित्सकों, नर्स, पैरामेडिकल स्टाॅफ, भारत को सुरक्षित रखने मेें प्रण और प्राण से जुटी सेना, पुलिसकर्मी, सुरक्षाकर्मी… प्रशासन का हर वो अधिकारी, कर्मचारी, देश की धरा को स्वच्छ और संक्रमणरहित रखने में लगे हुए सफाईकर्मी, हिन्दुस्तान के सेवाभावी समाजसेवी, दानी, कर्मयोद्धा और कोरोना वाॅरियर को इस जंग को लडने के लिए एक नई उर्जा, जज्बा और हौसला दे दिया।

धर्मग्रंथों, धार्मिक मतों और उपासना में दीपक और केंडल की रोशनी शुभता एवं ऊर्जा का प्रतीक है। 11 दिनों से लाॅकडाउन मेें बसर हो रही जिंदगी में 5 अप्रैल रूपी रात्रि निराशा के भंवर में आशा भरी सिद्ध हुई। आकार में दीप छोटा ही सही पर उससे फैलने वालेे प्रकाश ने मानों निराशा रूपी अंधियारे को पल भर में ही समेट दिया हो। आज देश एक होकर खडा है… एक होकर लड़ रहा है… मानों दीपक की रोशनी यह कह भी रही हो… सबका भाव यही था… सब अपने-अपने घरों से यही संदेश देश और दुनिया को देना चाह रहे थे… इसी आशा के साथ…
आप सब के साथ
मैं दीप अवश्य जलाऊंगा
एक दीप आशा का
एक विश्वास का
एक ज्ञान का
एक प्रकाश का
एक तम में उजाले का
एक भूखे के निवाले का
एक बेसहारे के सहारे का
एक डूबते के किनारे का
एक जन-जन की वाणी का
स्नेह मानवता का लाऊंगा
हाँ मैं  दीप अवश्य जलाऊंगा।
कोरोना वायरस से जारी यह फाईट, अर्थव्यवस्था, सियासत और हर उन मुद्दों से भारी है जो देश और दुनिया में आए दिन तैरते रहते है। आशा है 5 अप्रैल रूपी रविवार की रात भारत भूमि से जो अंधकार को मिटाने रूपी उजास की हुंकार भरी है वह युगो-युगो तक दुनिया में प्रासंगिक रहेगी। फिलवक्त यही कहा जा सकता है कि देशभर में इंसानियत, संवेदना, देशभक्ति का जो ज्वार उठा है सच यह एक नए भारत का उदय है।

लेखक राजेश शर्मा का परिचय
वर्तमान में संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस से जंग लड रहा है। जंग में मानवता के कई ऐसे प्रहरी है जो जंग से मानव जाति को उबारने के लिए प्रण और प्राण से जुटे है। इस समसामयिक एवं विश्वव्यापी ज्वलंत समस्या पर तीक्ष्ण दृष्टि डालता आलेख मप्र की राजा भोज की ऐतिहासिक नगरी धार के वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, विचारक राजेश शर्मा ने लिखा है। लेखक राजेश शर्मा की ख्याति राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार मप्र शासन होकर लेखक, विचारक एवं प्रशासनिक परीक्षा के एक्सपर्ट के रूप में है। आपके मार्गदर्शन में कई युवा प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है। आपने पीएससी परीक्षा एवं पत्रकारिता पर कई पुस्तकों की रचना की है। आप प्रदेश शासन की इंदौर संभाग स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के सदस्य रहे है साथ ही पत्रकारिता की सर्वोच्च डिग्री एमजे में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से टाॅपर रहे है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!