धार। उपभोक्ता फोरम धार ने सरदारपुर क्षेत्र के 31 किसानों के 4 वर्ष पुराने प्रकरणों में दवा निर्माता व विक्रेता के खिलाफ फैसला सुनाया। एक ही दिन में 31 प्रकरणों का निराकरण उपभोक्ताओं के हित में एक उल्लेखनीय कार्य है। फैसला फोरम के अध्यक्ष पीएस पाटीदार सदस्य डॉ दीपेंद्र शर्मा और श्रीमती हर्षा रुनवाल ने खुले न्यायालय में पारित किया। किसान द्वारा रसायनिक दवाइयों का उपयोग खेती में आम बात है। ये दवाइयां फसलों की रक्षा करती है वही खेती कार्य में सहायक होती है। परन्तु कभी कभी हो उल्टा जाता है। धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र के 31 किसान परिवारों को ऐसे ही एक बड़े संकट का सामना करना पड़ा। मुम्बई की ख्याति प्राप्त दवाई कम्पनी की दवाई के उपयोग से अदरक और गराडू की फसल वृद्धि तो दूर अंकुरण ही नहीं हुए और फसल ही समाप्त सी हो गई। पैदावार में भारी कमी से किसान दुखी, पीड़ित और हतप्रभ थे। दवाई विक्रेता और निर्माता कंपनी ने किसानों की बातों को अनसुना कर दिया तो सभी पीड़ित 31 किसानों ने उपभोक्ता फोरम की मदद ली। नियमानुसार फोरम में केस दायर कर दिया। विपक्षी दवा निर्माता कंपनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हर दवा के साथ जानकारी के लिए ब्रोशर रखा होता है। जिसमें कई भाषाओं में जानकारी होती है। यह लॉजिक दवाई चकोतरा, मीठी रसभरी अंगूर व बैंगन के लिए निर्देशित थी लेकिन इन किसानों ने उसका उपयोग जमीकंद अदरक और गराड़ू के लिए किया जिसके लिए दवाई नहीं थी । प्रोजीब दवाई एक पौध विकास वर्धक है जिसका उपयोग पौधों को पोषण देने के लिए है। ना की बीज उपचार के लिए। दवा विक्रेता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह केवल न्यूनतम मुनाफे पर अपना व्यापार करता है। अदरक व गराडू के बीज उपचार में उक्त दवाई के उपयोग और अंकुरण ना होने पर उसने कंपनी को अवगत करवा दिया था। अतः उसके द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं है। किसानों ने दवाई का बिल, बीजों उपचार की विधि, पंचनामा, जमीन की जानकारी, पूर्व की गई शिकायतों, आवश्यक दस्तावेजों को शपथ पूर्वक पेश किया वह अन्य किसानों के शपथ पत्र भी प्रस्तुत किए। किसानों ने प्रति बीघा तीन से चार लाख की क्षतिपूर्ति की मांग की। विद्वान न्यायाधीश अध्यक्ष पी एस पाटीदार,सदस्य डॉ दीपेन्द्र शर्मा व हर्षा रुनवाल ने उभय पक्ष के दस्तावेजों का निरीक्षण परीक्षण किया। प्रोजीब दवाई के उपयोग से बीज उपचार के बाद ठीक से अंकुरण नहीं हुआ। प्रोजीब अदरक वह गराडू जैसे जमीकंदों के लिए नहीं थी पर विपक्षी कंपनी के प्रतिनिधि व विक्रेता द्वारा ही उनका उपयोग व विक्रय किया व करवाया गया है अतः वे अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकते और क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदाई भी है। उभयपक्षों के तर्क श्रवण करने के बाद परिवादी का परिवार आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी गण दवा निर्माता को विक्रेता के विरुद्ध उक्त आदेश पारित किया। अपने ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने दवा निर्माता कंपनी और विक्रेता को दोषी माना। फसल क्षतिपूर्ति मद में 23 लाख अड़तीस हजार रुपए, मानसिक प्रताड़ना मद में एक लाख तिरतालिस हजार और वाद व्यय के रूप 60 हजार रुपये इस प्रकार में 31 प्रकरणों में कुल 25 लाख 43 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया। कम्पनी को यह राशि एक माह में देनी होगी अन्यथा आदेश दिनांक से 8 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी पृथक से अदा करना होगा। यह जानकारी कार्यालय अधीक्षक वसंत कलम ने दी है।