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राजगढ़ – श्री महावीर हनुमान गौशाला आश्रम पर भजनवात हनुमानजी प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 225 लाभार्थियों के सहयोग से हुआ संपन्न, मारुति महायज्ञ में दी गई 1 लाख आहुतियों से वातावरण हुआ पवित्र

राजगढ़। मोहनखेड़ा के समीप श्री महावीर हनुमान गौशाला आश्रम पर 20 से 24 अप्रैल तक पंच दिवसीय श्री महावीर भजनवात हनुमानजी प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं पंचदिवसीय श्री मारुति महायज्ञ संपन्न हुआ। पांच दिवसीय महोत्सव से एक बार फिर क्षेत्र का माहौल धर्ममय हो गया। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का यह आयोजन करीब 225 लाभार्थियों के सहयोग से संपन्न हुआ। वही मारुति महायज्ञ में प्रतिदिन वैदिक मंत्रों के साथ दी गई आहुतियों से क्षेत्र का वातावरण पवित्र हो गया।

मंत्रोच्चार के साथ दी गई 1 लाख आहुतियां –
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत चले मारुति महायज्ञ में प्रतिदिन वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई। महायज्ञ में माताजी मंदिर के गुरुदेव श्री पुरुषोत्तमजी भारद्वाज की पावन निश्रा में यज्ञाचार्य कृष्णा भारद्वाज की उपस्थिति में 35 से अधिक पंडितों द्वारा 21 हवन कुंड में 41 यजमानों द्वारा एक लाख आहुतियां दी गई। यज्ञाचार्य कृष्णा भारद्वाज ने बताया की महायज्ञ में प्रतिदिन दी गई विभिन्न आहुतियों से क्षेत्र का वातावरण तो पवित्र हुआ ही है, साथ ही नकारात्मक शक्तियों का भी नाश हुआ है।

225 लाभार्थियों का रहा सहयोग –
श्री महावीर हनुमान गौशाला आश्रम ट्रस्ट के सदस्यों ने बताया कि अयोध्या से आए परम् पूज्य संत श्री रामलला सरकार के मार्गदर्शन में श्री भजनवात हनुमानजी की प्रतिष्ठा संपन्न हुई है। आगे भी धर्म क्षेत्र के इस प्रकार के कार्य क्षेत्र भर में संपन्न होंगे। श्री भजनवात हनुमानजी का मंदिर संभवतः धार जिले का एक मात्र मंदिर है। पंच दिवसीय महोत्सव क्षेत्र के करीब 225 भाग्यशाली लाभार्थियों के सहयोग से संपन्न हुआ है। श्री महावीर हनुमान गौशाला एवं आश्रम ट्रस्ट सभी लाभार्थियों एवं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोग करने वाले महानुभवों का आभार व्यक्त करते हुए यह कामना करता है कि सभी का ऐसा सहयोग सनातन धर्म के प्रति बना रहे।

साथ ही भजनावत हनुमान जी की ऐसी दुर्लभ प्रतिमा क्षेत्र के आसपास अभी देखने में नहीं आई गई है। ट्रस्ट मंडल का विशेष निवेदन है की सभी अपने परिवार मित्र आश्रम पर मंदिर पर आकर दुर्लभ श्री भजनावत हनुमानजी महाराज के दर्शन कर जीवन को आनंदमय करें। तथा अपने परिवार के साथ अपने जीवन के हर उत्सव को आश्रम पर मनाए एवं गौमाता की सेवा का लाभ भी लेवे।

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