रमेश प्रजापति, सरदारपुर।
विधानसभा चुनाव में अब कुछ समय ही बचा है और चुनावी उल्टी गिनती भी शुरू हो चुकी है। मध्य प्रदेश में अपनी 3 पारी खेल चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए 2018 का विधानसभा चुनाव “वैतरणी नदी” पार करने से कम नहीं है। बस यूँ समझ लीजिए कि यह चुनाव सीएम शिवराज के लिए एक “आग का दरिया है, और डूब के जाना है।” भाजपा भले ही इस बार 200 पार का नारा दे दे रही है, लेकिन भाजपा के लिए इस बार 200 पार करना “टेढ़ी खीर” से कम नहीं है। बात करें अगर हम सरदारपुर विधानसभा चुनाव की तो यहां भाजपा में बदलाव की गूंज नजर आ रही है। लेकिन वर्तमान विधायक का टिकट कटना भी मुमकिन नहीं लग रहा है। इस चुनावी वैतरणी को पार करने में सीएम शिवराज सिंह का कौन सारथी बनेगा। यह आने वाला वक्त ही बता पाएगा। लेकिन एक अनुमान के मुताबिक हम यहां यह गणित जरूर लगा सकते हैं कि कौन-कौन भाजपा की और से टिकट की दौड़ में है और किसे टिकट मिल पाएगा। हालांकि इसी वर्ष हुए नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को सरदारपुर एवं राजगढ़ दोनों नगर परिषद से मुंह की खानी पड़ी हैं। इतना ही नहीं अक्टूबर माह में हुए महाविद्यालय के चुनाव में एबीवीपी के संग भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। बात करें कॉलेज चुनाव कि तो यहां पर भाजपा ने पुरजोर कोशिश एनएसयूआई को हराने में लगा दी थी। लेकिन यहाँ कोई रणनीति काम नही आई। कॉलेजे चुनाव में एबीवीपी के बजाय भाजपा नेताओं की भरमार थी यहाँ तक की अभाविप के पुराने अनुभवी कार्यकर्ताओं को चुनाव से दूर रखा गया। वही विधायक स्वयं को इस चुनाव में उतरना पड़ा था। हालांकि सूत्रों की माने तो कॉलेज में अभाविप की हार का कारण अभाविप के एक पदाधिकारी के कड़वे बोल बताए जा रहे हैं। वही नगर परिषद राजगढ़ की हार की बात करें तो राजगढ़ में चुनाव प्रभारी मनोज सोमानी का रवैया हार का एक कारण माना जा सकता है। सोमानी जी को संगठन ने प्रभारी बनाकर तो भेजा था लेकिन पत्रकारों से किस तरह बात की जाती है शायद यह नहीं सिखाया था। चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के रोड़ शों के दिन सोमानी जी द्वारा एक पत्रकार को सीधे ही हेलीपेड के अंदर ले जाना कई पत्रकारों को सौतेला व्यवहार लगा था। अगर सोमानी जी को भाजपा कहीं और प्रभारी बनाती है तो उन्हें मीडिया से एवं पत्रकारों से किस तरह व्यवहार करना है यह भी सिखाया जाए। हालांकि सोमानीजी ही हार का कारण नहीं है। राजगढ़ में भाजपा की हार के बहुत सारे कारण है। वहीं बात करे सरदारपुर की तो सरदारपुर में भाजपा में बगावती तेवर ही सिर्फ हार का इकलौता कारण नही है यहां अपनों ने ही अपनी नय्या डुबाने का काम किया है। हम यह सभी इसलिए बता रहे हैं ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी संगठन यहां हुई गलतियां नहीं दौहराए एवं डूबती हुई नय्या व घटते हुए जनाधार को बचा सके।
ये है टिकट कि दौड़ में –
वेलसिंह भूरिया – सरदारपुर विधानसभा के विधायक वेलसिंह भूरिया 527 वोंट विजय हुए विधायक है। विधायक भूरिया अपने कार्यकाल में काफी विवादों में रहें है। विधायक मंच से अपनी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ-साथ पत्रकारों पर भी बयान बाजी कर चुकें है। विधायक साहब की माने तो उनका टिकट कोई नही काट सकता है एवं इस बार वो स्वयं को हजारां वोट से जितने का दांवा कर रहें है। अब विधायक महोदय के बारे में क्या लिखे सूबे की सरकार में इनके चर्चे जग जाहिर है।
संजय बघेल – संजय बघेल जिला पंचायत सदस्य के साथ ही भाजपा के जिला मंत्री भी है। लम्बे समय से बघेल सक्रिय है एवं विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाको में उनकी एक मजबुत टिम भी है। पार्टी सुत्रों की माने तो अगर भूरिया का टिकट कटता है तो बघेल का मिलेगा। लेकिन जाती- समिकरण के दांव पेंच लगे तो सम्भावनाएं बदल भी सकती है। संजय बघेल साफ सुथरी छवी के नेता है। अभी तक किसी भी प्रकार के विवादों में इनका नाम नही आया है। कार्यकर्ताओं में जोश भरने का कार्य भी यह बखुबी जानते हैं।
मुकामसिंह रावत – मुकामसिंह रावत भाजपा के जिला महामंत्री है एवं संघ के कार्यकर्ता भी है। रावत का पूर्व में लोकसभा चुनाव हेतु टिकट तय हुआ था लेकिन एन मौके पर कट गया। वर्ष 2017 के अप्रेल माह में मोहनखेड़ा में हुई भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का पुरा जिम्मा रावत के उपर था। जिसे इन्होंने पुरी निष्ठा के साथ निभाया था। पार्टी सुत्रों की माने तो मुकामसिंह रावत का भी नाम सरदारपुर विधानसभा के उम्मीदवार के रूप में चल रहा है।
मयाराम मेड़ा – मयाराम मेड़ा भाजपा के कार्यकर्ता है एव वर्तमान में सरपंच संघ के अध्यक्ष है। जब से प्रदेश में पंचायत राज लागु हुआ है तब से मेड़ा के परिवार का सदस्य ही ग्राम मिंडा का सरपंच रहा हैं। वर्तमान में इनकी पत्नी मिंडा की सरपंच है। इस बार मेड़ा भी विधायक के टिकट के लिए दावेदारी जता रहें है। निचले स्तर पर इनका जनता से सिधा संवाद भी है एवं जातीय समिकरण में मेड़ा फिट बैठ सकतें है। संरपंच संघ के अध्यक्ष रहते हुए मेड़ा का हर ग्राम पंचायत में ग्रामीणों से सिधा संम्पर्क है।
धर्मेन्द्र मंडलोई – धर्मेन्द्र मंडलोई भाजपा के सक्रिय नेता के तौर पर क्षेत्र में अपनी पहचान रखते है। आजादी के बाद पहली बार सरदारपुर नगर परिषद में भाजपा अध्यक्ष के रूप मंडलाई की पत्नी दो तिहाई बहुमत से जिती थी। मंडलोई को 10 वर्ष का वकालत का अनुभव भी है। साथ ही मंडलोई संघ में प्रथम वर्ग शिक्षित है। मंडलोई वर्ष 2000 -01 में महाविद्यालय में अभावीप के प्रत्याशी के रूप में निर्वीरोध अध्यक्ष निर्वाचीत हुए थे। वर्तमान में मंडलाई अजजा मोर्चा प्रदेश कार्यसमतिति के सदस्य है। सरदारपुर विधानसभा में जातीय समिकरण में मंडलाई पूरी तरह फिट बैंठ सकते है। विधानसभा क्षैत्र के 50 से 60 गांवों में इनती रिश्तेदारी है एवं निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं एवं ग्रामीणों से इनका सिधा संवाद है।
फिलहाल तो भाजपा में यही दावेदार टिकट की दौड़ में है। लेकिन पार्टी एन मौके पर किसी बाहरी व्यक्ती को भी सरदारपुर भेंज सकती है। लेकिन क्षेत्र की जनता बाहरी के बजाई स्थाई व्यक्ती को ही अपना विधायक बनाने के मूड़ में दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री अपनी जन आशीर्वाद यात्रा लेकर सरदारपुर विधानसभा में आ रहें है। ऐसे में यह सभी नेता अपनी-अपनी दावेदारी जताने में कोई कसर नही छोड़ेंगे।