नरेंद्र पँवार,दसई। पापो का नाश धर्म आराधना से होता है। धर्म के मार्ग पर चलने से कठिन से कठिन कार्य सरल बन जाते है मगर व्यक्ति धर्म के मार्ग से भटकता जा रहा है परिणाम हम देख रहे है। वहीं जीवन मे गुरु या संत का अपमान कभी नही करना चाहिये। गुरु से बढकर कोई नहीं होता है। उक्त विचार आज रविवार को परमपूज्य ज्योतिषाचार्य जयप्रभ विजयजी म.सा के शिष्यरत्न एंव मालवकेसरी मुनिराज श्रीहितेषचंद विजयजी ने चातुर्मास प्रवेष के दौरान राजेन्द्रसूरि ज्ञान मन्दिर मे विशाल जनसमुदाय के बीच धर्मसभा मे कहे। आपने कहा कि व्यक्ति दुनिया को पहचानने मे सुबह से शाम लगा देता है मगर अपने आप को नही पहचानता है। जिस दिन वह अपने आप को पहचान लेगा सारे काम आसानी के साथ हो जावेगे और किसी के पास जाने की जरुरत नही पडेगी ।
प्रातः 9 बजे नीम चोक से चातुर्मास का भव्य मंगल प्रवेष का चल समारोह प्रारम्भ हुआ। जो लगभग 1 बजे राजेन्द्रसूरि ज्ञान मन्दिर पहुॅचा जहाॅ धर्मसभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का षुभारम्भ दादा गुरुदेव की पूजा-अर्चना के साथ किया गया। स्वागत गीत बालिका परिषद् युक्ता मण्डलेचा,मुस्कान पावेचा, की टीम ने प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण चातुर्मास समिति के अध्यक्ष संजय पिपाडा ने दिये। गुरुवंदन देवेश पिपाडा द्वारा सभी को कराया गया। इस पावन अवसर पर भगवान की सुन्दर पावन अंगरंचना की गई। कार्यक्रम का संचालन राकेश नाहर ने किया ।
अनेक स्थानों से पहुंचे गुरूभक्त:- मंगल प्रवेष के दौरान बाबुलाल खिमेसरा, जावरा,मांगीलाल पावेचा,राजगढ,प्रकाश बाफना,पूर्व विधायक प्रताप ग्रेवाल,मनावर नगर पालिका के पूर्वअध्यक्ष रमेशचंद खटोड,मनावर न्यायाधीष श्री जैन सा सहित ,धार, राजगढ, मनावर, टाण्डा, धार, आष्टा, सिहोर, बदनावर बडवाह, कोद, बिडवाल, बरमण्डल, गोवा, भिमडी, अनेक स्थानो से गुरुभक्त आये थे । सभी अतिथियो को स्मृति चिन्ह देकर बहुमान किया गया ।
ओढ़ाई काबंलीः- मंगल प्रवेश के प्रथम दिवस मुनि हितेषचंद विजयजी को काबंली ओडा ने का लाभ शांतिलाल रुगनाथ परिवार भिमंडी ने लिया। वही गुरुपूजन का लाभ राजेन्द्र कुमार,सुभाष चंद सेठिया परिवार रतलाम ने लिया। जिनका बहुमान श्रीसंघ अध्यक्ष पारसमल पावेचा, संजय पिपाडा सहित अनेक समाजजनो ने किया।
लगाये स्वागत द्वार:- मगंल प्रवेश को लेकर समाजजनो के अलावा अनेक अजैन मे काफी उत्साह का माहौल देखने को मिला। नीम चैक से लगाकर आदिनाथ जिनालय तक कई स्वागत द्वार मंच लगाये गये। पूरे नगर को झण्डे बैनर से सजाया गया था। नगर के चारो ओर धार्मिक माहौल बना हुआ था। वही नवयुवक परिषद् के कार्यक्रता सफेद और बालिका परिषद् केसरिया परिधान मे थे जो लोगो का आकर्षण का केन्द्र बिन्दु था। बैंडबाजो के मधुर गीत के चलते युवा वर्ग के साथ महिलाओ ने भी नृत्य किये। नगर की सडको पर बनी रांगोली ने हर किसी को अपनी ओर खींचा। सभी समाजजनो ने अक्षत की गहुली करके अगवानी की। शोभायात्रा मे 108 बालिकाऐ सिर पर कलष लेकर चल रही थी। अंगुरबाला खाबिया, संजय, राजेश, मनोज एंव समस्त खाबिया परिवार की ओर से स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। यह पहला अवसर है कि मगंल प्रवेश मे हजारो की संख्या मे गुरुभक्त आये।
इन्द्रदेव भी साक्षी बने:- जब मुनिमंडल का नगर प्रवेष हो रहा था कि इन्द्रदेव ने भी पहले हल्काफुल्का बरसना प्रारम्भ किया और जैसे ही राजेन्द्रसूरि ज्ञान मन्दिर मे प्रवेष किया की जोरदार बारिश हो गई । जिससे ऐसा लगता है कि मानो मंगल प्रवेश के इन्द्रदेव भी साक्षी बने ।